Electrician से जुड़े किसी भी कार्य में यदि थोड़ी सी भी लापरवाही की जाती है तो यह किसी न किसी नुकशान का कारण जरुर बनती है | ऐसे ही यदि जब कही इलेक्ट्रिक तारों में या किसी वैद्युतिक पुर्जे में जोड़ लगाया जाता है तो उस जोड़ से विद्युत उर्जा का तथा अन्य प्रकार के नुकशान का होना तय होता है | तारों के जोड़ो को मजबूती देने के लिए हमें सोल्डरिंग की आवश्यकता होती है | आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे ( Soldering in Hindi ) सोल्डरिंग क्या होती है , और सोल्डरिंग कितने प्रकार की होती है |
➤ इलेक्ट्रीशियन क्या है
वैद्युतिक क्षेत्र में सोल्डरिंग को एक प्रकार की प्रक्रिया कहा जाता है जिसमें दो समान या भिन्न – भिन्न धातुओं को आपस में किसी तीसरी धातु के द्वारा जोड़ा जाता है | जिस तीसरी धातु के द्वारा दोनों धातुओं को आपस में जोड़ा जाता है उसे फिलर या सोल्डर के नाम से जाना जाता है |
इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों में तो बिना सोल्डरिंग के किसी भी उपकरण का निर्माण एक असंभव सा कार्य जान पड़ता है | लगभग सभी प्रकार के सर्किट बोर्ड में बहुत सारे पुर्जों को आपस में जोड़ने के लिए सोल्डरिंग का उपयोग करना ही पड़ता है |
किसी भी जोड़ वाले स्थान पर सोल्डरिंग का उपयोग करने से जोड़ यांत्रिक रूप से तो मजबूत होता ही है साथ ही जोड़ वाले स्थान में होने वाले वोल्टेज ड्राप में कमी आती है और
जोड़ वाले उपकरण , जोड़ के आकार , धातु तथा स्थान के अनुसार सोल्डरिंग की अलग -अलग विधियों का उपयोग किया जाता है-